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कुछ परिंदों को तो बस दो चार दाने चाहिएँ कुछ को लेक

कुछ परिंदों को तो बस दो चार दाने चाहिएँ
कुछ को लेकिन आसमानों के ख़ज़ाने चाहिएँ

रुत बदली तो ज़मीं के चेहरे का ग़ाज़ा भी बदला
रंग मगर ख़ुद आसमान ने बदले कैसे कैसे

उक़ाबी रूह जब बेदार होती है जवानों में
नज़र आती है उन को अपनी मंज़िल आसमानों में

वाक़िफ़ कहाँ ज़माना हमारी उड़ान से 
वो और थे जो हार गए आसमान से।।

©shayri walla
  #nightsky  P. V. Mishra meri_diary(R*) Niaa_choubey Bhavna singh Yt Pooja Udeshi #ahsasalfazoke