न जूते बिखरे होंगे न टॉफियों के रैपर मिलेंगे न खिलौने पड़े होंगे न तोतली बातों की झड़ी होगी धीरे धीरे समझदार होके अपने पैरों खड़े हो जाएंगे सलीके हज़ार होंगे जब बच्चे बड़े हो जाएंगे। गले से लग कर झूला कौन झूलेगा नए नए व्यंजन पर नखरे कौन करेगा सूना आंगन चहक उठा जब रुनझुन दौड़ लगाएंगे सलीके हज़ार होंगे जब बच्चे बड़े हो जाएंगे। माँ माँ कह के छोर कौन थामेगा गोद मे उठा लो जिद कौन करेगा गोद मे आकर चैन की नींद सो जाएंगे सलीके हज़ार होंगे जब बच्चे बड़े हो जाएंगे।। एक खिलोने के लिए आसमान सिर उठा लेने वाले बड़े होकर जिम्मेदारियों को उठाएंगे फिर.... सलीके हज़ार होंगे बच्चे बड़े हो जायँगे। ©पूर्वार्थ #बच्चे #जूते #बड़े