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हवाएँ कुछ कह रही थी, मस्त मगन अपनी ही धुन में ना ज

हवाएँ कुछ कह रही थी,
मस्त मगन अपनी ही धुन में
ना जाने कब से बह रही थी,
मैं अन्जाना कान लगाए बैठा,
ना जाने क्यूँ आस लगाए बैठा,
खो चुका था सुध बुध अपनी,
इन फ़िज़ाओं की मस्ती में,
झूम उठा था तन मन मेरा,
यादों की उस कस्ती में...



 हम अक्सर पार्कों में, खुली जगहों पर जाते हैं मगर वहाँ रहते नहीं।
#हवाकहरहीथी #collab #yqdidi    #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi #yqbaba
हवाएँ कुछ कह रही थी,
मस्त मगन अपनी ही धुन में
ना जाने कब से बह रही थी,
मैं अन्जाना कान लगाए बैठा,
ना जाने क्यूँ आस लगाए बैठा,
खो चुका था सुध बुध अपनी,
इन फ़िज़ाओं की मस्ती में,
झूम उठा था तन मन मेरा,
यादों की उस कस्ती में...



 हम अक्सर पार्कों में, खुली जगहों पर जाते हैं मगर वहाँ रहते नहीं।
#हवाकहरहीथी #collab #yqdidi    #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi #yqbaba

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