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चारों तरफ है रोशनी गाड़ियों की चकाचौध है दौड़ रही

चारों तरफ है रोशनी
गाड़ियों की चकाचौध है
दौड़ रही जिंदगी
चमचमाती रोड है

खिड़कियों के कांच से
दिख रही रोमांच है
एक गलती क्या हुई 
फिर हादसे दुर्दांत है

तेज लाइट सामने से
आंख जाती कौंध है

वक्त की कीमत है इतनी
प्राण से प्यारी है ये
फिर भी  लगता हमें
तलवार दो धारी है ये

गर्व से सीना है ऊंचा
ये हमारी खोज है

आज हम मजबूर है
गति बढ़ाने के लिए
आज फर्राटा जरूरी
है जमाने के लिए

रोज बढ़ती जा रही जो
गाड़ियों की बोझ है

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  # ट्रैफिक

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