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sunilkumarmaurya6950
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

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Sunil Kumar Maurya Bekhud

फ़ाहिज्ज्    घर   घनज

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #sad_shayari
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

ध्वनि
कभी कर्णप्रिय लगती हमको
कभी है लगती कर्कश
कभी हृदय को पीड़ा देती
कभी लुभाती बसबस

बनकर के संगीत जहाँ को
अपने वश में करती
कभी भयानक बन जाती यह
सारी दुनिया डरती

जिसके मुँह से ध्वनि ना निकले
उसको गूँगा कहते 
बहरा बोले सुन नहीं सकता
मै कानों के रहते

बेखुद ध्वनि जब हद से बढ़ती
बन जाती है शोर
रूप प्रदूषण का  धर लेती
बनती आदमखोर

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #ध्वनि
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

काँटा
करे सुरक्षा किसी की
घाव किसी को देता
दूर भागती दुनिया इससे
कोई नहीं सुधि लेता

इसके आँगन में भी फिर भी
फूल खुशी के खिलते
आती है बहार चुपके से
जब उनके लब हिलते

काँटा है पर हाथ मदद के
अपने सदा बढ़ाता
इसके बिना न निकले कोई
चुभा पाँव में काँटा

दुश्मन के राहों में इसको
जब कोई रखता है 
बेखुद पास न आने देता
प्रहरी बन जगता है

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #काँटा@कविता

#काँटा@कविता

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Sunil Kumar Maurya Bekhud

White सूर्योदय
तुम्हें देखकर नींद से जागे
नरम मुलायम बिस्तर त्यागे
कर प्रणाम कर नित्य क्रिया
चले लक्ष्य के पीछे आगे

कोई ढूँढे सागर में मोती
कोई चढ़े पर्वत की चोटी
भूख लगी व्याकुल है कोई
यत्न करे मिल जाए रोटी

अगर नहीं तुम हमें जगाते 
स्वप्न देखते हम रह जाते
आलस हमें कैद कर लेती
कोई उद्योग नहीं कर पाते

बेखुद खुश हम ऊर्जा पाकर
धन्यवाद है तुमको दिनकर
कर्तव्यों का बोझ खुशी से
चले मार्ग में सभी उठाकर

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #GoodMorning  हिंदी कविता

#GoodMorning हिंदी कविता

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Sunil Kumar Maurya Bekhud

White  चांदनी_रात
समा बांधते गगन में
अगणित चाँद सितारे
मंत्रमुग्ध हम देख कर
अद्भुत देख नज़ारे

टहल रहे स्वक्छन्द् हो
रात्रिचरों की भाँति
निशा मुदित है मन ही मन
बढ़ रही उसकी ख्याति

पाँव पसारे क्षितिज तक
धने तिमिर को तोड़
कोई नहीं है प्रतिद्वंद्वि
नहीं है उनमें होड़

बेखुद शीतलता देकर
हरते मन की पीड़ा
ऐसा लगे जुगुनू करते
अंबर में हैं कृणा

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #good_night
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

White    हमदम
हमदम संग न रहता हरदम
जैसे कोई साया
तपता सूरज बने कभी तो
कभी बने वो छाया

कभी जख्म देता है दिल को
कभी लगाता मरहम
कभी छीन लेता है खुशियाँ
कभी खुशी बरसाया

कभी उगाता है काँटों को
पग पग चुभते उर में
कभी बहारें बन आँगन में
घर आँगन महकाया

बेखुद जिसकी किस्मत जैसी
वैसा हमदम पाता
किसी को मंजिल तक पहुँचाता
किसी को है भटकाया

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #love_shayari
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

नशा
निकल नहीं सकता कोई
यदि चंगुल में फँसा
मौत बाँटती शौक से
जो करता है नशा

कहती है ये दुनिया से
मेरे अंदर जहर
दौड़ रँगों में करती हूँ
धीरे धीरे अशर

मेरी नशीली आँखों के
लाखों हैं दीवाने
मेरे प्यार में डूबकर
जाती उनकी जानेँ

कर देती बर्बाद मैं
बेखुद घर परिवार
फिर मेरे ईश्क में
दुनिया है लाचार

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #नशा@कविता

#नशा@कविता

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Sunil Kumar Maurya Bekhud

White दुःख पहाड़ सा लगता है
सुख है जैसे सागर
किन्तु पिलाता है अमृत
हृदय प्रीति का गागर

मानव करता दोनों को
धीरज रखकर पार
अगर नहीं धीरज रखता
निश्चित होती हार

कभी मिलन होती है तो
होती कभी विछोह
सबसे अधिक दुःखद होती
प्रियजन की विद्रोह्

बेखुद मन को समझाना
सबसे मुश्किल काम
यही दिलाता यश हमको
यही करे बदनाम

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #Sad_Status
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

White मुखड़ा जैसे चाँद का टुकड़ा
किंतु हृदय है प्रस्तर सा
देख बुजुर्गों के ना पिघले
आँसू झरते निर्झर सा

यही कामना ,करें बंदना 
सेवा में तत्पर रहकर
गृह कार्यों को पूर्ण करें वो
जैसे हों घर के नौकर

सुन लें वो चुपचाप शांत हो
रोज सुनाएँ जब झिड़की
बात न बाहर जाए दिल की
बंद करें मन की खिड़की

बेखुद देखभाल ,आया सा
करें वो छोटे बच्चों की
यही आधुनिक नारी चाहे
बनकर बहू बुजुर्गों की

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #आधुनिक_नारी @ हिंदी कविता

#आधुनिक_नारी @ हिंदी कविता

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Sunil Kumar Maurya Bekhud

मिट्टी
धूल धूसरित तन हो जिसका
सब कहतें हैं मैला
उसे देखते हैं नफरत से
कहते शब्द विषैला

वह मिट्टी का कर्ज चुकाता
नमक है जिसका खाता
उसे प्रेम करता जीवन भर
निज सर्वस्व लुटाता

उसका नमक सभी खातें हैं
फिर भी करें न प्रेम
चेहरे पर मुश्कान सभी के
यह उसकी ही देन

कहती मिट्टी मेरे पुत्र को
दुनिया नहीं सताए
बेखुद सबकी भूख मिटाकर
खुद भूखा सो जाए

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #मिट्टी
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