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sunilkumarmaurya6950
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

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Sunil Kumar Maurya Bekhud

भगदड़
      
आँख मूँद कर लोग भागते, 
होते ही कोई गड़बड़! 
तनिक धैर्य से कम न लेते, 
तब मचती है भगदड़! 

तभी आग में घी उड़ेलती, 
है कातिल अफवाह! 
कुछ ही पलों में पूरी होती, 
उसके मन की चाह! 

अफवाहें हैं तीव्र फैलतीं, 
जैसे वन की आग! 
उनको सुनकर लोग भागते, 
होकर शून्य दिमाग! 

अगर धैर्य से काम वो लेते, 
मुश्किल बला भी टलती! 
डाले प्राणों को खतरे में, 
इक छोटी सी गलती! 

जाने कितने निरपराध हैं, 
गिरकर रौंदे जाते! 
जो बच जाते वो आजीवन, 
गलती पर पछताते! 

बेखुद भगदड़ कभी न होगी, 
अगर सभी लें ठान! 
अफवाहें झूठी होतीं हैं, 
ना दें उनपर ध्यान

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #भगदड़
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

नींद

नींद सभी को प्यारी लगती, 
राजा रंक फकीर! 
पर उसको होती नसीब, 
जिसकी अच्छी तकदीर! 

एक दिवस में छः घंटे तक, 
सोना बहुत जरूरी! 
मगर नहीं सो पाते कुछ हैं, 
जिनकी कुछ मजबूरी। 

जो लेते भरपूर नींद वो, 
वो रहते हरदम चंगा! 
कभी कोई बीमारी उनसे, 
लेती कभी न पंगा! 

लेकिन बहुत अधिक जो सोते, 
कुंभकरण कहलाते! 
घरवालों की डांट रोज वो, 
सुबह सुबह हैं खाते! 

बेखुद नींद चाहते अच्छी, 
मन से रहें प्रसन्न! 
रहें सदाचारी व हरहम, 
खाएं सात्विक अन्न!

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #नींद
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

सुबह सुबह ही चाय संग, 
ले करके अखबार! 
कितना सच कितना झूठ, 
करते सोच विचार! 

कुछ खबरें सच्ची होतीं, 
कुछ बिल्कुल झूठी! 
कुछ रोचक कुछ दुःख भरी, 
कुछ तो बहुत अनूठी! 

कुछ खबरें आसानी से, 
नही उतरतीं गले! 
होता है विश्वास नहीं, 
लगती हमको छलें! 

कुछ को आँख बंद कर हम, 
कर लेते यकीन! 
कुछ को पढ़ते ही हम सब, 
हो जाते गमगीन! 

कुछ होतीं हैं चटपटी, 
पढ़कर मन खुश होता! 
कुछ होतीं हैं ज्ञान भरी, 
सभी लगाते गोता! 

बेखुद अखबारों से हम, 
दुनियाँ से जुड़ पाते! 
लाख कमी हो फिर भी हम, 
हरदम हैं गुण गाते!

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #अखबार
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

White घिरा हूँ मुश्किलों में मैं
खड़ा हूँ मैं अकेला 
समझ में आ गया है
जिंदगी है झमेला

कोई अपना नहीं है
न कोई है पराया
कहीं जाना है बेखुद
लगेगा ही किराया

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #Sad_Status
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

White 

नेत्र बंद कर प्रियतम बोले, 
अपने दोनों हाथों से ! 
कौन हूँ मैं पहचानो मुझको, 
तुम मेरे पदचापों से ! 

यदि पहचान गई तुम मुझको, 
हो जायेगी हार मेरी  ! 
हुक्म तुम्हारा मैं मानूँगा, 
जायेगी सरकार मेरी ! 

साँसों की खुशबू से उनके, 
मैं इतनी मदहोश हुई ! 
एक शव्द मुँह से न निकला, 
मैं बिल्कुल खामोश हुई ! 

काफी देर बाद वो बोले, 
ये तो सरासर धोख़ा है ! 
जान बूझकर मुझे जिताया, 
किसने तुमको रोका है ! 

मैंने उनके हाथ हटाए, 
अपने नेत्रों के ऊपर से! 
बोला है उनसे  हँसकरके, 
उन्हें देखकर जी भर के! 

हार चुकी हूँ मैं दिल अपना, 
कैसे जीत मेरी होती! 
बेखुद पास जो आते हो तुम, 
मैं हूँ तुझमें ही खोती

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #love_shayari
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

White व्योम

खेलते लाखों सितारे
व्योम तेरे गोद में
सुख तुम्हें मिलता है कितना
संग संग अमोद में? 

खोजते अपने हितैषी
उन ग्रहों में हम सभी
वो कभी खुशियाँ लुटाते
कष्ट देते हैं कभी

जानना हम चाहते हैं
तुम रहस्यों से भरे
हम समझ पाते न तुमको
यत्न कितना भी करें

चाहते छूना तुम्हें सब
और मिलना चाँद से
फिर भी हैं डरते कि बेखुद
हो न जाएं हादशे

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #GoodMorning
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

White 

दासता के नर्क से कोई
जब होता आजाद
तभी पता चलता उसे
आजादी का स्वाद

ऐसा लगे कसाई के
बचा हाथ से बकरा
पार किया हो कोई जैसे
दुस्कर सागर गहरा

कठिन तपस्या का फल है
हुआ देश स्वाधीन
अंग्रेजो के हाथों से
उनकी सत्ता छीन

विफल किया उनके सारे
रचे हुए षणयंत्र
तब जाकर हम बन पाए
इक विशाल गणतंत्र

बेखुद इस आजादी की
यदि हम बने न ढाल
कई पीढियाँ करेंगी
हमसे कठिन सवाल

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #GoodMorning
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

नींद
 मीठी नींद सभी को प्यारी 
  सपनों से है इसकी यारी
 दिन में भी आ जाती अक्सर
 मगर है इसकी रात दुलारी

कम आती है जिसे वो रोता
ज्यादा आती खूब है सोता
बिना बुलाये जब आती है
ठन्ढे़ पानी से मुँह धोता

मगर चिकित्सक कहतें है
दोनों रूप में है बीमारी

 कोई नींद की गोली खाता
तब जाकरके वह सो पाता
कोई बिस्तर पर करवट लेता
कोई जमीं पर ही सो जाता

 चिंता से यह दूर भागती
 थकने पर यह पड़ती भारी

 अच्छी नींद है बहुत जरूरी
  कभी कभी ना होती पूरी
   कभी समय ऐसा आ जाता
    होती जगने की मजबूरी

    जब भी यह आँखों में आती
      हुई बंद पलकें बेचारी

      बहुत सलोनी इसकी दुनियाँ
       इसमें आतीं सुंदर परियाँ
       मगर डराती कभी कभी यह
        भूत प्रेत की दिखती छवियाँ

        मगर पास जब आए बेखुद
        सोने की करिए तैयारी

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #नींद
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

बँटवारा
 जब संग रहकर रिश्तों की
थक जाती है धारा
कोई नहीं बचता है चारा
तब होता बँटवारा

धारा बँटकर कई दिशाओं में
जाकर खुश होती
लेकिन रिश्तें याद आयें जब
छुप छुप कर है रोती

उन्हें एक रहने में लगता
है खुद का नुकसान
चूल्हे जलते कई तो बँटकर
होता दुःखी मकान

जान रहे बँटवारे से कम
होगी अपनी ताकत
फिर भी खुशी खुशी देते हैं
बँटवारे को दावत

बँटवारा ना जाने कितने
खड़ी करे दीवारें
इक माता के दो पुत्रों में
खिंच जाती तलवारें

बेखुद वतन बँटा दे गया
सबको गहरे घाव
उसके काँटे चुभते रहते
ज़ख़्मी होते पाँव

    स्वरचित
सुनील कुमार मौर्य बेखुद
गोरखपुर उत्तर प्रदेश
२४/०१/२०२५

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #बँटवारा
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

White                 समंदर में नाव

   चल रही झूमते
   समंदर में नाव
    बैठा जो उसमें
     हिल रहे पाँव

     असमान साफ है
     पवन है शांत
     ऐसा बने रहना
     आवश्यक नितांत

     वरना है मंजिल
     अभी बहुत दूर
     कहीँ हो न जाएं
     स्वप्न चूर चूर

     काश आज मौसम
     करवट न बदले
     आये न तूफ़ाँ
     मंजिल से पहले

     तेज तेज चप्पू
     है माँझी चलाता
    बेखुद खुशी खुशी
     बढ़ता ही जाता

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #sad_qoute
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