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दिल के टुकड़े कर देना, हसरत थी उनकी.. अब क्या कहूं

दिल के टुकड़े कर देना, हसरत थी उनकी..
अब क्या कहूं कि, क्या फितरत थी उनकी..
हम उनकी आंखों में एक आंसू,
भी ना देख सकते थे..
और हमको रुला देना, आदत थी उनकी..

©Bhavana kmishra
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