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वो क़िताब खोलती है, क्योंकि उसे बाहर की दुनिया नहीं

वो क़िताब खोलती है, क्योंकि उसे बाहर की दुनिया नहीं भाती। उसे चाहिए कल्पनालोक का संसार। जहाँ वो मुस्कुराती है, प्रेम में पड़ती है और ज़ार ज़ार रोती है।

वो क़िताब खोलती है, क्योंकि उसे बाहर की दुनिया अपने पास नहीं बुलाती। वो खोजती है अपने अकेलेपन का साथी। किस्सों में ढूंढ़ती है अपना प्रेमी और जीती है ढेरों प्रेम कहानियां।

वो क़िताब खोलती है, क्योंकि उसे दुनिया को अपनी आंखों से देखने की इजाज़त नहीं है। रोकते हैं उसे दुनियावी क़ायदे कानून। वो पढ़ती है ताकि उन नियमों में थोड़ी सौदेबाजी कर सके, कुछ बन कर अपनी आज़ादी खरीद सके।

वो क़िताब खोलती है, क्योंकि उसे दुनिया के अतीत, वर्तमान और भविष्य में अपना हिस्सा चाहिए। वो ढूंढ़ती है अपने अधिकारों को, उससे अपनी दासता की कहानी छुपी नहीं है।

वो क़िताब खोलती है, क्योंकि वो लिखना चाहती है। अपनी कहानियां, अपने किरदार, अपने भाव वो खुद गढ़ना चाहती है। उसे बने बनाये रास्तों पर नहीं चलना, अपनी दिशा अपनी राजनीति वो खुद बनाना चाहती है।

वो क़िताब खोलती है, क्योंकि उसने पढ़ने का हक़ लड़ कर पाया है। वो पढ़ती है, क्योंकि पढ़ने से ही आज़ादी की राह खुलती है। #WorldBookDay #23April #Women #Education #emanicpation #Liberation #FeministState #FeministMovement
वो क़िताब खोलती है, क्योंकि उसे बाहर की दुनिया नहीं भाती। उसे चाहिए कल्पनालोक का संसार। जहाँ वो मुस्कुराती है, प्रेम में पड़ती है और ज़ार ज़ार रोती है।

वो क़िताब खोलती है, क्योंकि उसे बाहर की दुनिया अपने पास नहीं बुलाती। वो खोजती है अपने अकेलेपन का साथी। किस्सों में ढूंढ़ती है अपना प्रेमी और जीती है ढेरों प्रेम कहानियां।

वो क़िताब खोलती है, क्योंकि उसे दुनिया को अपनी आंखों से देखने की इजाज़त नहीं है। रोकते हैं उसे दुनियावी क़ायदे कानून। वो पढ़ती है ताकि उन नियमों में थोड़ी सौदेबाजी कर सके, कुछ बन कर अपनी आज़ादी खरीद सके।

वो क़िताब खोलती है, क्योंकि उसे दुनिया के अतीत, वर्तमान और भविष्य में अपना हिस्सा चाहिए। वो ढूंढ़ती है अपने अधिकारों को, उससे अपनी दासता की कहानी छुपी नहीं है।

वो क़िताब खोलती है, क्योंकि वो लिखना चाहती है। अपनी कहानियां, अपने किरदार, अपने भाव वो खुद गढ़ना चाहती है। उसे बने बनाये रास्तों पर नहीं चलना, अपनी दिशा अपनी राजनीति वो खुद बनाना चाहती है।

वो क़िताब खोलती है, क्योंकि उसने पढ़ने का हक़ लड़ कर पाया है। वो पढ़ती है, क्योंकि पढ़ने से ही आज़ादी की राह खुलती है। #WorldBookDay #23April #Women #Education #emanicpation #Liberation #FeministState #FeministMovement
pratimatr9567

Vidhi

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