आज नग़्मा दिलकश सुनाऊँगी मैं प्यार का मेरे टुकड़े-टुकड़े दिल ,उस बेवफ़ा यार का दिल पर जो लगा एक पत्थर मेरे यार का सौ टुकड़े- टुकड़े हुए उल्फ़त में प्यार का मुद्दतों गले में बनके रहा वो गले के हार सा एक पल में तोड़ा उसने बंधन प्यार का हयात में बनके रहा फ़सल -ए- बहार सा दिल सिसकियाँ भरता तालिब-ए-दिदार का वो किसी और गेसूओं में उलझा रहा अब क्या कहने उस बेग़ैरत उस बेवफ़ा यार का क्या जलाते चिराग- ए- उल्फ़त इंतज़ार का हमनें भी तौबा किया Queen"तब से प्यार का ।। बेग़ैरत ______बेशर्म चिराग -ए -उल्फ़त _____मोहब्बत का दिया तालिब-ए-दिदार______दर्शनों का अभिलाषी हयात _____ जिन्दगी गेसूओं_____ जुल्फों ♥️ Challenge-593 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :)