हमारा भी हुआ करता था कभी हँसी और खुशियों से भरपर एक अपना घर जहाँ थे सिर्फ अपने लोग पर न जाने कहाँ से आया एक हवा का झोंका जो उड़ा ले गया उस घर की हर खुशी और बना दिया उसे घर से एक मकान एक टूटा मकान नमस्कार लेखकों🌺 Collab करें हमारे इस #RzPoWriMoH25 के साथ और "टूटता मकान" पर कविता लिखें। (मूल कविता अनीता वर्मा द्वारा) • समय सीमा : 24 घंटे • कैपशन में संक्षिप्त विस्तारण करने की अनुमति है।