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ग़ज़ल जब भी उसका दिल करता है वो रूठ जाता है। हमें

ग़ज़ल
जब भी उसका दिल करता है वो रूठ जाता है।
हमें कैसे पता होगा,वो कहां कुछ बताता है।

कहता है हम खुद ही समझ लें हर बात उसकी।
बस इशारों इशारों में ही सब जताता है।

एक आदत है उसकी जो बहुत अच्छी है।
बिना बोले मेरे कुछ भी सब समझ जाता है।

अभी तक एक दफा ही मिला है वो मुझसे।
अब न मिलता है और न बहाने बनाता है।

दूरियों ने शायद दूरियां बढ़ा दी है अब।
ये कमबख्त दिल है कहां समझ पाता है।

©Dr Nutan Sharma Naval
  #gazal

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