ख़्वाब हो, ख़्याल हो, फिर ना कोई सवाल हो, प्रेम से फ़िर यूँ ज़िंदगी में सुकून से मुलाक़ात हो ।। एहसास हो, विश्वाश हो, प्रेम से चलती रहें श्वास हो, आरज़ू हो, जुस्तजू हो प्रणय भरा ❤️ फ़िर यूँ "प्रेम" से आलिंगन हो ।। बात हो, ज़ज्बात हो, मन मेें तेरे ख़यालात हो, ग़म की धूप संग भी यूँ खुशियों की छाँव हो ।। आज हो, कल हो यूँ तुम मेरे साथ हरपल हो, मोल ना किसी का जो प्रेम तेरा मेरा अनमोल हो ।। रूप हो, ना रंग हो, ह्रदय से उठती प्रेम तरंग हो, स्वर्णिम प्रेम से भरा यह तेरा मेरा आँचल हो ।। 💞🍃💝🍃💞।।लेखन संगी।।💞🍃💝🍃💞 💞//स्वरणिम प्रेम// 💞 "रंग हो,संग हो, मलंग हो बस प्रेम से जीवन में उमंग हो। चतुर्मुखी भावों से भरा अतंस तक भी प्रेममय तरंग हो।।