लोग कितने ही मर गये इश्क-ए- आज़ार में मरहम नहीं कोई दुनिया के किसी बाज़ार मे पंसद आये या मिले जो वो दिल में रखे हमें हमदम हो अपना ऐसा बैठे है इसी इंतजार में पारुल शर्मा लोग कितने ही मर गये इश्क-ए- #आज़ार में मरहम नहीं कोई दुनिया के किसी बाज़ार मे पंसद आये या मिले जो वो दिल में रखे हमें #हमदम हो अपना ऐसा बैठे है इसी इंतजार में पारुल शर्मा आज़ार-रोग