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हम अपनी ही तालाश मे दोस्तो बात ये की बचपन स

हम अपनी  ही तालाश  मे 
 दोस्तो  बात  ये की बचपन  से ही लिखना  पसंद  था   बात  ये थी  उम्र  के ताराजू  को बढ़ते  देख  बस मै  खो  गयी  , वो  लिखने  की कला  कही  गायब  हो गयी  !  खुद के शौक  से एक समझोता  कर लिया   !  शुकुन  मन  से बहुत  दूर  था   ! फिर  लगे  रहे  के बाद  एक जॉब  मिली  !  घर  से निकलते  और  ऑफिस  मे पहुचने का  रास्ता  मन  मे लिखने  के प्रति  विचार  चलता  रहता फिर  मैने  अपने  शौक  पे  काम करने  लगी  ! जो खुद भूल  बैठी  इन  ऊची  मिनारों  मे ! खुद  से  गहरा  रिश्ता मैने  बना  लिया  ! जो काहानिया  कॉलेज  ओर  ऑफिस  मे groups  बनाते  कही  खो  गयी  थी  !  कही उनको पा लिया  ! तुम्हारी  तालाश  तुम से ही हैं  
इस  दूनिया  के मेले  मे  अपना  अस्तित्व  खोने  की गलती  मत  करो  !  तो  हम अपनी  तालाश  मे चले  खुद  की अलग  पहचान writing  found me 

#peace
हम अपनी  ही तालाश  मे 
 दोस्तो  बात  ये की बचपन  से ही लिखना  पसंद  था   बात  ये थी  उम्र  के ताराजू  को बढ़ते  देख  बस मै  खो  गयी  , वो  लिखने  की कला  कही  गायब  हो गयी  !  खुद के शौक  से एक समझोता  कर लिया   !  शुकुन  मन  से बहुत  दूर  था   ! फिर  लगे  रहे  के बाद  एक जॉब  मिली  !  घर  से निकलते  और  ऑफिस  मे पहुचने का  रास्ता  मन  मे लिखने  के प्रति  विचार  चलता  रहता फिर  मैने  अपने  शौक  पे  काम करने  लगी  ! जो खुद भूल  बैठी  इन  ऊची  मिनारों  मे ! खुद  से  गहरा  रिश्ता मैने  बना  लिया  ! जो काहानिया  कॉलेज  ओर  ऑफिस  मे groups  बनाते  कही  खो  गयी  थी  !  कही उनको पा लिया  ! तुम्हारी  तालाश  तुम से ही हैं  
इस  दूनिया  के मेले  मे  अपना  अस्तित्व  खोने  की गलती  मत  करो  !  तो  हम अपनी  तालाश  मे चले  खुद  की अलग  पहचान writing  found me 

#peace