हिंदी हिन्दुस्तानी मातृभाषा, संस्कृत सुता कहलाए, मानक, सम्पर्क, राज, राष्ट्र, देवनागरी लिपि बन जाए। स्वर,व्यंजन,अनुस्वार,अनुनासिक, विसर्ग इसे सजाए, रस,छंद,अलंकार युक्त,कर्णप्रिय, मृदुभाषी सम सुहाए। प्रस्फुटित होते शब्द जब, प्रज्वलित करे जस ज्वाला, हिंदी ज्ञान अभिमान करे, बन प्रेमचंद, दिनकर,निराला। स्वाभिमान आत्मसम्मान दे, सभ्यता, संस्कृति, संस्कार, प्रेम पुष्प हिय सृजन करे, कर पृथक हृदय विकार। सहज, सरल, सौम्य, मधुर, वीणा पाणि वरदे समान, स्वर उच्चारण अग्रसारित करे, हिंद का मान सम्मान। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫प्रतिस्पर्धा में भाग लें "मेरी रचना✍️ मेरे विचार"🙇 के साथ.. 🥇"मेरी रचना मेरे विचार" आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों का प्रतियोगिता:-०७ में हार्दिक स्वागत करता है..💐🙏🙏💐 🥈आप सभी ८ से १० पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। विजेता का चयन हमारे चयनकर्ताओं द्वारा नियम एवं शर्तों के अनुसार किया जाएगा।