कोरा बचपन एक मुस्कान होटो पे आंखों में ख़्वाब सजाये बालो को चिपकाकर यू मस्ती में चला जाये मानो सम्राट हो, हम मिट्टी के साज हो हमको देखकर ये मिट्टी भी चहक जाए बोलती आ गया मेरा बेटा जो मुझसे लिपटा रहता लोग इसे धूल कहते फिर भी ये इसी में रहता कोरा बचपन बीत गया फिर आई मदमस्त जवानी सब भूल गए सब बात गई, मिट्टी की वो रात गई अब तो परदेस से ना फुरसत है, मिट्टी की याद कहा रही ।*रुद्र* #कोराबचपन #मिट्टी#माँ