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तू ही शिव है तू ही शंकर, अजर अमर अविनाशी है, महाका

तू ही शिव है तू ही शंकर, अजर अमर अविनाशी है,
महाकाल उज्जैन विराजे, विश्वनाथ तू काशी है।
तू ही संकट हर्ता है, और तू ही मंगल कर्ता है।
तू ही रचनाकार जहां का, तू ही प्रलय का कर्ता है।
तू ही महेश्वर तू ही पिनाकी, शशि शेखर भी तुम ही हो,
वामदेव हो विरुपाक्ष हो, विष्णु वल्लभ भी तुम ही हो।
हे शंभू हो शिवा प्रिय तुम, अंबिका नाथ कहाते हो।
कामदेव के शत्रु हो तुम, कामारि कहलाते हो।
तुम ही कपाली हो कृपानिधि, तुम ही तो गंगाधर हो,
बड़ी-बड़ी हैं जटा रखे जो, तुम ही तो वो जटाधर हो।
तुम ही हो कैलाश के वासी, भस्मोद्धूलितविग्रह हो,
तुम ही सामप्रिय स्वरमयी तुम, सोमसूर्याग्निलोचन हो।
तुम ही जगत के गुरु हो स्वामी, भूत पति भी तुम ही हो,
पाशविमोचन महादेव हो, पशुपति भी तुम ही हो।
दक्ष के यज्ञ को नष्ट किया, और दक्षाध्वरहर कहलाए,
पूषा के जो दांत उखाड़े, पूषदंतभित तुम कहलाए।
रुद्र भी तुम हो व्योमकेश तुम, मृत्युंजय भी तुम ही हो,
तुम ही सदाशिव वीरभद्र तुम, तुम ही गणों के स्वामी हो।
हे त्रिपुरारी पाप मिटाओ, भवसागर से पार करो,
इस धरती पर पाप बहुत है, तुम आकर उद्धार करो।
पापी सीमा लांघ रहा है, अब तो प्रभु तुम आ जाओ,
नेत्र तीसरा खोलो अपना, धरा से पाप मिटा जाओ।
हे दयानिधि हे कृपानिधि, तुम आकर न्याय दिला जाओ,
संताप हरो भक्तों का तुम और भव से पार लगा जाओ। #shiva #shayari #god #life #lovequotes #motivation #thoughts
तू ही शिव है तू ही शंकर, अजर अमर अविनाशी है,
महाकाल उज्जैन विराजे, विश्वनाथ तू काशी है।
तू ही संकट हर्ता है, और तू ही मंगल कर्ता है।
तू ही रचनाकार जहां का, तू ही प्रलय का कर्ता है।
तू ही महेश्वर तू ही पिनाकी, शशि शेखर भी तुम ही हो,
वामदेव हो विरुपाक्ष हो, विष्णु वल्लभ भी तुम ही हो।
हे शंभू हो शिवा प्रिय तुम, अंबिका नाथ कहाते हो।
कामदेव के शत्रु हो तुम, कामारि कहलाते हो।
तुम ही कपाली हो कृपानिधि, तुम ही तो गंगाधर हो,
बड़ी-बड़ी हैं जटा रखे जो, तुम ही तो वो जटाधर हो।
तुम ही हो कैलाश के वासी, भस्मोद्धूलितविग्रह हो,
तुम ही सामप्रिय स्वरमयी तुम, सोमसूर्याग्निलोचन हो।
तुम ही जगत के गुरु हो स्वामी, भूत पति भी तुम ही हो,
पाशविमोचन महादेव हो, पशुपति भी तुम ही हो।
दक्ष के यज्ञ को नष्ट किया, और दक्षाध्वरहर कहलाए,
पूषा के जो दांत उखाड़े, पूषदंतभित तुम कहलाए।
रुद्र भी तुम हो व्योमकेश तुम, मृत्युंजय भी तुम ही हो,
तुम ही सदाशिव वीरभद्र तुम, तुम ही गणों के स्वामी हो।
हे त्रिपुरारी पाप मिटाओ, भवसागर से पार करो,
इस धरती पर पाप बहुत है, तुम आकर उद्धार करो।
पापी सीमा लांघ रहा है, अब तो प्रभु तुम आ जाओ,
नेत्र तीसरा खोलो अपना, धरा से पाप मिटा जाओ।
हे दयानिधि हे कृपानिधि, तुम आकर न्याय दिला जाओ,
संताप हरो भक्तों का तुम और भव से पार लगा जाओ। #shiva #shayari #god #life #lovequotes #motivation #thoughts