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White मैं वहीं हूं मैं आज भी वहीं हूं , जहां मुझे

White मैं वहीं हूं

मैं आज भी वहीं हूं ,
जहां मुझे ख़ुद को ख़ुद ही 
समझाना पड़ रहा है।
कभी चुप रहकर तो कभी ख़ुद से 
ही खुशफुसाकर,
किसी शांत सी जगह का इंतजार कर,
मुझे उसकी शांति में
ख़ुद को गुनगुनाना पड़ रहा है
और कितना ? आखिर कब तक ?

ए सिखलाने वाले! तू सिखलाता रहेगा,
बैठी हु किनारे पर देखने को खुद का ही 
तमाशा
वो बात कुछ ऐसी है कि
"अब तो ये सब्र का बांध भी टूट रहा है" ।
मैं तैयार हु फिर तेरे दूसरे इम्तहान के 
लिए,
खुद को समेटकर फिर उस धागे में
जो बिखरा है मेरा , मेरी ही माला से
इसका भी अब यही कहना है कि -
"धागा भी अब कुछ कमज़ोर सा लग रहा है"।।
मैं आज भी वहीं हु,
जहां मुझे ख़ुद ही ख़ुद को।
समझाना पड़ रहा है
हा अफ़सोस की मैं आज भी वहीं हूं!!

©megha #Thinking  shayari in hindi
White मैं वहीं हूं

मैं आज भी वहीं हूं ,
जहां मुझे ख़ुद को ख़ुद ही 
समझाना पड़ रहा है।
कभी चुप रहकर तो कभी ख़ुद से 
ही खुशफुसाकर,
किसी शांत सी जगह का इंतजार कर,
मुझे उसकी शांति में
ख़ुद को गुनगुनाना पड़ रहा है
और कितना ? आखिर कब तक ?

ए सिखलाने वाले! तू सिखलाता रहेगा,
बैठी हु किनारे पर देखने को खुद का ही 
तमाशा
वो बात कुछ ऐसी है कि
"अब तो ये सब्र का बांध भी टूट रहा है" ।
मैं तैयार हु फिर तेरे दूसरे इम्तहान के 
लिए,
खुद को समेटकर फिर उस धागे में
जो बिखरा है मेरा , मेरी ही माला से
इसका भी अब यही कहना है कि -
"धागा भी अब कुछ कमज़ोर सा लग रहा है"।।
मैं आज भी वहीं हु,
जहां मुझे ख़ुद ही ख़ुद को।
समझाना पड़ रहा है
हा अफ़सोस की मैं आज भी वहीं हूं!!

©megha #Thinking  shayari in hindi
meghakandpal5622

megha

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