यध्यपि मिट चुके होंगे हमारे वज़ूद मगर हवा में घुली रहेंगी संगीत की तरंगे ज़ो हमेँ हुल्साती रहेंगी हमारे वजूद को सहला सहला कर सराहती रहेंगी ©Parasram Arora तरंगे.......