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वो हमसफ़र था.. मग़र उससे हम-नवाई न थी.. ये धूँप-छाँव

वो हमसफ़र था..
मग़र उससे हम-नवाई न थी..
ये धूँप-छाँव का आलम था..
मग़र ये जुदाई न थी..
साथ तो बस कहने का था..
मग़र हाथों में हाथ नहीं था..
सब कुछ था पास मेरे,,
बस सिर्फ़ वो जो सबसे ख़ास था..
वो ही पास नहीं था,,
बहुत सी दिल में बातें थी बताने को,,
मगर उसे मुझपे विश्वास नहीं था..
वो कहने को तो हमसफ़र था..
मग़र उसके लिए मैं ख़ास नहीं थी..!!

©Rishika Srivastava "Rishnit"
  #बसयूँही
#4:48pm
#Rishnit
#कुछबातें