#MessageOfTheDay कई मदिराए ऐसी होती है जिंसे बुद्धिजीवी पीकर. विचारों क़े नशे मे खो जाते है और अपनी इन धुंधली अभिवक्तियों को इसलिए वो "मदिरा" कहने लगते है......... लेकिन मैं मदिरा इसलिए पीता हूँ ताकि मैं अपनी मस्ती की बेहोशी और नशे को कमकर सकूl अनेक मनुष्य ऐसे होते है ज़ो सागर कि गर्जन जैसा बेवजह गरजने लगते हैँ कई मनुष्य ऐसे भी होते है ज़ो अपने सिरों को पर्वत की चोटी से भी ऊपर उठा कर चलते हैँ जबकी उनकी आत्माये कन्दराओ क़े अंधकार मे सोई हुई पड़ी रहती है ©Parasram Arora मदिरा और मनुष्य