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चमत्कार -------- हम सब बाहरी चमत्कार देखकर दंग हो

चमत्कार
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हम सब बाहरी चमत्कार देखकर दंग हो जाते हैं लेकिन
एक ऐसा चमत्कार जो हर दिन देखते हैं लेकिन दंग नहीं
होते। क्या सोंचा कभी वो चमत्कार कौन सा है। नहीं,
लगभग यही उत्तर मिलेगा। क्योंकि हम सोचते ही नहीं।
चमत्कार उसे कहते हैं जो हमारी सोच,बुद्धि,विवेक से
परे होता है और जिसका रहस्य हमें समझ नही आता।

दरअसल में, वो चमत्कार हम खुद हैं इसीलिए कहा जाता है खुद को जानो। हम खुद से अनजान हैं।हम
सिर्फ यही जानते हैं कि आए हैं,पढ़ना,लिखना,धन,
नाम शोहरत हासिल करना और निकल लेना। इन्सान
इसी दायरे में खुद को परिभाषित कर रहा है।बल्कि
सच्चाई कुछ और ही है। हम समुद्र से भी गहरे,आकाश
से भी विशाल और हिमालय से भी ऊंचे हैं बशर्ते कि हम
खुद की खोज करें जो कठिन तपस्या है , तपने से होगा।
चमत्कार का अथाह भंडार खुद में छिपा है।हमारी हालत
उस मृग के समान है जिसके अंदर ही कस्तूरी है और 
वह उसे वन वन ढूढता फिरता है। यही नादानी है।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
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