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nagendrasingh4153
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नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

🌹मैं शायर हूं नहीं फिर भी ,दिल ए एहसास लिखता हूं। मुझे गाना नहीं आता ,मैं फिर भी गुनगुनाता हूं।🌹🙏

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नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

पहुंचने में दूरी कितनी कम थी, इक दूजे तक।
मगर हालात ऐसे थे, पहुंच पाए न इक दूजे तक।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
  # अफसोस# शायरी#

# अफसोस# शायरी#

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नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

सुनसान शहर इतना क्यों है, इन्सान यहां से कहां गए।
खिलते थे अमन फूल जहां,वो चमन सुहाने कहां गए।

रात उदासी डगर है सूनी,
शोर नहीं है अब गलियों में।
कौन लुटेरा लूट गया सब,
आग लगा दी बगियों में।

पूछ रही अब सूनी आंखें, हंसते आंगन कहां गए।
इन्सान यहां से कहां गए।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
  # कविता# नूह # पर

# कविता# नूह # पर

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नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

# स्वरचित # भक्ति गीत # जगत जननी

# स्वरचित # भक्ति गीत # जगत जननी

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नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

हैं आप दया निधि, कीजे दया,
           हम भी तो शरण में आए हैं।
जो पास है मेरे,हे भगवन!,
              वो साथ लिए हम आए हैं।
सारे जगत के तुम स्वामी,
            तुम से ही ये जग सारा है।
चलता तुम से ही सब कुछ है,
               सब का तू ही सहारा है।
लौटा न कोई दर से खाली,
       इसी आस में हम भी आए हैं।
हम कैसे कहें,सब कष्ट हरो,
          हम कैसे कहें ,दुख दूर करो।
है विनय यही सब के स्वामी
         इस दास का भी कल्याण करो।
क्षमा नाथ जो भूल हुई,
                  हम चरण पकड़ने आए हैं।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
  # भक्ति गीत  Swati Srivastava Pt. Ashish Dubey आजयपाल बरगी Miss Poonam.PP Nitoo Yadav

# भक्ति गीत Swati Srivastava Pt. Ashish Dubey आजयपाल बरगी Miss Poonam.PP Nitoo Yadav #शायरी

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नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

पकड़ लो हाथ तुम मेरा , सहारा हमको मिल जाए।
सफर में साथ चललें हम , किनारे तक पहुंच जाएं।

यूं कट जायेंगी राहें , अगर हम साथ चल हो लेंगे।
न मैं तन्हा न तुम तन्हा, अगर संग दोनों मिल लेंगे।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
  # पकड़ लो हाथ तुम मेरे।

# पकड़ लो हाथ तुम मेरे। #शायरी

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नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

# जहां इज्जत नहीं वहां हम भी नहीं।

# जहां इज्जत नहीं वहां हम भी नहीं। #विचार

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नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

बनाती स्वर्ण जो घर को, वो कहलाती हैं बेटियां।
है जिनसे चक्र सृष्टि का, वो कहलाती हैं बेटियां।
है जिनका धर्म ही सेवा, वो कहलाती हैं बेटियां।
हृदय में त्याग है जिनके,वो कहलाती हैं बेटियां।
है रखती लाज जो घर की,वो कहलाती हैं बेटियां।
बढ़ाती वंश जो आगे,वो कहलाती हैं बेटियां।
सहन करना जिन्हें आता ,वो कहलाती हैं बेटियां।
 कभी बेटी,बहन,पत्नी ,कभी मां बनती बेटियां।
कई रिश्तों को निभाती रहती है बेटियां।
फिर भी जमाने में खिलौना,क्यों बनती हैं बेटियां।
फिर क्यों बलि की बेदी पर चढ़ती हैं बेटियां।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
  # बेटियां

# बेटियां #कविता

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नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

# जीवन की गाड़ी चली जा रही है।

# जीवन की गाड़ी चली जा रही है। #शायरी

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नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

भुलाना नहीं होता आसान दिल से, 
भला दिल से धड़कन जुदा ही कहां है।

अश्क गिरते हैं और दिल सिसकता है चुपके,
पर  तस्वीर दिल से ही मिटती कहां है।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
  # भूलना नहीं होता आसान दिल से।

# भूलना नहीं होता आसान दिल से। #शायरी

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नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

टूट कर शाख से गुल गिरा जब जमीं पर,
पूछा जमीं ने क्यूं,कैसे गिरे हो।

क्या दामन छुड़ाया है तुमसे किसी ने,
या तुमने ही दामन है छोड़ा किसी का।
 अश्क  गुल का गिरा, जब जरा सा जमीं पे,
जमीं ने कहा सब समझ आ गया है।
तुम तो हो कोमल क्या छोड़े किसी को,
तुम को ही किसी ने जुदा कर दिया है।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
  # शाख से टूट कर

# शाख से टूट कर #कविता

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