हुंकार भर रहा मेरा मन चित्कार कर रहा मेरा मन गूंजकर, जोर से हाहाकार। रौंदकर चित्त को,भूलकर स्वाभिमान चाटुकार तू बन, चाटुकार तू बन। नित्य कृत्य छोड़कर, विधि रीति ताक पर। सिद्धांत को भूलकर , कर्मठ पंथ छोड़कर। राह नई तू पकड़ पथिक राह तू बदल। पथिक राह तू बदल। #चित्त