श्यामल नभ का उज्ज्वल शशि भी सन्देश दे रहा है कि भू का कंण कंण तुम्हारा है ये सेवासित हवाएं तुम्हारी है सागर की सहज लेकिन उद्वेलित लहरों का सारा संसार भी तुम्हारा है और कली कुसमो का समूचा गुलशन भी तुम्हारा ही है फिर क्यों तुम संकुचित मनुज का जीवन इस बंदीग्रह में जीने के लिए विवश हो रहे हो ये मत भूलो कि इस बंदीग्रह का निर्माण तुमने अपने हाथोंसे ही किया है.... तभी तो तुम्हारे उत्साह और उल्लास का इतना ह्रास हुआ है तुमने खुद ही तोड़े हैँ अपने सरोवरो के तट.. तभी तो सरोवरो का जल स्त्रोत मुफ्त में ही बह गया है और तुम्हारा रसीला जीवन खोखला हुआ है l ©Parasram Arora खोखला जीवन