जो बीत गया ,वो बीत गया आखिर क्यों तू उस दर्द को दुहराता है पी गए जब शम्भू हलाहल तो तू क्यों विष मात्र से घबराता है क्या सूरज ने उगना छोड़ दिया क्या चाँद ने चमकना छोड़ दिया फिर क्यों तुम जीना छोड़ रहे ये अमावस की रात भले हो पर ये वक़्त पूनम को भी तो लाता है तुम भले ठहर जाओ समर में पर तुम्हारे साथ ये तो सोचो कौन ठहरेगा दुनिया हँसती है रुकने वालों पर तुम फिर से चलना प्रारम्भ करो निकालो अपने तूणीर से नए बाण अब लक्ष्य पर पुनः संधान करो जो बीत गया वो बीत गया जो बीत रहा उसमे तो कुछ निर्माण करो वक़्त की चोट का दर्द वक़्त ही दूर करेगा तुम नित्य नए प्रयास करो तुम नित्य नए प्रयास करो –अभिषेक राजहंस जो बीत गया,वो बीत गया #Nojotohindi #Nojoto #वक़्त