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मैं इन वादियों मे आज़ फिर नया ख़्वाब बुनने आई हु आज

मैं इन वादियों मे आज़ फिर नया ख़्वाब बुनने आई हु
आज फिर अपनी तन्हाइयों से बात करने आई हु


आज फिर आसमान मे पंक्षी कि तरहा उड़ने आई हु
इन पहाड़ो कि इन नदिओं कि सुनने आई हु
शहर के शोरगुल से दूर हवाओ से मिलने आई हु
आज फिर मैं थोड़ी देर ख़ुद के साथ वक्त बिताने आई हु |
23:02:2023

©Sheetal Choudhary
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