प्रेम की परिभाषा प्रेम की परिभाषा को मैं न जानूं,

प्रेम की परिभाषा

प्रेम की परिभाषा को मैं न जानूं,
पर इसकी शक्ति को ही पहचानूं।
बिगड़ों को भी जो सुधारे प्रेम से,
उसी प्रेम को ही मैं स्वयं में धारूं।

प्रेम भाव से सबसे मिलूं मैं ,
उसी से ही सराबोर रहूं मैं।
दिव्यता भी है उसमें अदभुत,
उसका सदैव आभारी रहूं मैं।

कई रिश्तों से ही जुड़ा है ये,
सबसे मिला अलग नाम है ये।
किस किस नाम से इसे पुकारें,
सभी नामों में ही समाया है ये।

ईश्वर का भी संदेश यही है,
प्रेम में समाया ही वही है।
प्रेम से नहीं कभी मुख मोड़ो,
जीवन का सरताज यही है।

गुरु से जुड़े तो ईश्वर मिल जाए,
ईश्वर से जुड़े भक्ति मिल जाए।
सबका ही अपना एक नाता है,
उससे जुड़े तो स्वर्ग मिल जाए।
...............................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit #प्रेम_की_परिभाषा #nojotohindi

प्रेम की परिभाषा

प्रेम की परिभाषा को मैं न जानूं,
पर इसकी शक्ति को ही पहचानूं।
बिगड़ों को भी जो सुधारे प्रेम से,
उसी प्रेम को ही मैं स्वयं में धारूं।
प्रेम की परिभाषा

प्रेम की परिभाषा को मैं न जानूं,
पर इसकी शक्ति को ही पहचानूं।
बिगड़ों को भी जो सुधारे प्रेम से,
उसी प्रेम को ही मैं स्वयं में धारूं।

प्रेम भाव से सबसे मिलूं मैं ,
उसी से ही सराबोर रहूं मैं।
दिव्यता भी है उसमें अदभुत,
उसका सदैव आभारी रहूं मैं।

कई रिश्तों से ही जुड़ा है ये,
सबसे मिला अलग नाम है ये।
किस किस नाम से इसे पुकारें,
सभी नामों में ही समाया है ये।

ईश्वर का भी संदेश यही है,
प्रेम में समाया ही वही है।
प्रेम से नहीं कभी मुख मोड़ो,
जीवन का सरताज यही है।

गुरु से जुड़े तो ईश्वर मिल जाए,
ईश्वर से जुड़े भक्ति मिल जाए।
सबका ही अपना एक नाता है,
उससे जुड़े तो स्वर्ग मिल जाए।
...............................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit #प्रेम_की_परिभाषा #nojotohindi

प्रेम की परिभाषा

प्रेम की परिभाषा को मैं न जानूं,
पर इसकी शक्ति को ही पहचानूं।
बिगड़ों को भी जो सुधारे प्रेम से,
उसी प्रेम को ही मैं स्वयं में धारूं।
deveshdixit4847

Devesh Dixit

New Creator
#प्रेम_की_परिभाषा
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प्रेम ही इंसान में मानवता 
व दया का भाव
का उत्पन्न करता है

©Mr. R P Maurya #प्रेम_की_परिभाषा
प्रेम ही इंसान में मानवता 
व दया का भाव
का उत्पन्न करता है

©Mr. R P Maurya #प्रेम_की_परिभाषा
White प्रेम किसी व्यक्ति से नही होता हैं ,
प्रेम व्यक्तित्व से होता हैं ,
इंसान के व्यवहार से होता हैं ,
किसी की बातो से जब मन को खुशी मिलती हैं ,
किसी की परवाह जब तुम्हें सुकूँ देती हैं ,
तुम कितने अनमोल हो उसके लिए ,
जब कोई तुम्हें ये महसूस कराता हैं ,
अपने व्यस्त समय मे से भी ,
जो आपके लिए समय निकालता हैं ,
जिसको आप समझते हो और
जो तुम्हें समझता हो ,
ऐसे इंसान से हर बार आपको प्यार होगा ,
क्योंकि प्रेम व्यक्ति से नही व्यक्तित्व से होता हैं

©विवेक तिवारी
  #प्रेम_की_परिभाषा
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#प्रेम की परिभाषा।
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ranjitkumar2736

Ranjit Kumar

Bronze Star
New Creator

#प्रेम की परिभाषा। #विचार

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प्यार की परिभाषा
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प्यार की परिभाषा

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