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सांसों की पटरी पर दौड़ती सी रेल है, ये जिंदगी भी ल

सांसों की पटरी पर दौड़ती सी रेल है,
ये जिंदगी भी लुका छिपी सा खेल है।

कि कब क्या होगा, एक पहेली सी है,
कभी खुशी, कभी गम सहेली सी है।

अजीब सा सफर है, कि मौत मंजिल है,
यह जिंदगी हसींन है, मगर संगदिल है।

प्रेम और दर्द के सागर में तैरती नाव है,
कि जिंदगी मरहम है, जिंदगी ही घाव है।

कल के लिए अपना आज खो देते हैं,
जीवन के गीत का हम साज खो देते हैं।

सोचो कि यह जिंदगी एक दरिया है,
कुछ न कुछ जीने का एक जरिया है।

जिंदगी में जहाँ दर्द है, वहाँ मातम है,
कि खुशियों के मेले में सुस्वागतम है।

©Diwan G
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