राह नहीं आसान, पग-पग पे हैवान, डरने की है बात, रस्ता भी सुनसान, मोह में फँसा रहे, कितना है नादान, आदत से मज़बूर, लुटा रहा है जान, धोखे का व्यापार, नफ़रत की दूकान, गया है खाली हाथ, खाली पड़ा मकान, छल प्रपंच का मेल, सबसे था अनजान, बेच रही दुनिया, दहशत का सामान, जोखिम का सौदा, भरना पड़े लगान, वक्त के मजलिस में, कठिन है इम्तिहान, दिल में हो जब दर्द, कड़वी लगे ज़ुबान, पैसों का है मोल, 'गुंजन' करे बयान, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra #राह नहीं आसान#