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नज़्म ****** मैं  चाहूँ  तुम्हें , सुबह शाम प्रिय

नज़्म 
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मैं  चाहूँ  तुम्हें , सुबह शाम प्रिये।
मेरे दिल पे लिखा तेरा नाम प्रिये। 

तुम बन  कर  नशा  सी छाई हो,
जैसे   हो   कोई    जाम   प्रिये ।

अनमोल   मोहब्बत  होती   है,
इसका मत  लगाना दाम  प्रिये।

दिन रात याद तुम्हें ही करता हुँ, 
मेरा ना हैं  अब कोई काम प्रिये। 

तेरी  चाहत  में जलता रहता हूँ, 
होती नहीं मोहब्बत आम प्रिये।

©Uma Vaishnav
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#नज़्म