* जिंदगी एक अनसुलझी कहानी है * ******************************** जिंदगी एक अनसुलझी कहानी है, मन अब स्वस्थ कहां,दिल भी बीमार हो गया है। सोच खुद से है परेशान, आदमी आदमी से लाचार हो गया है। जिंदगी सड़क जैसी टेढ़ी-मेढ़ी है तो क्या हुआ, अब विचार भी उबर खाबर हो गया है। मन से तरंगे जो निकलती है, फ्रिकवेंसी बहुत तेज हो गया है, सच कहीं गुमनामी में खो गया है। जिंदगी एक अनसुलझी कहानी है, मन अब स्वस्थ कहां , दिल भी बीमार हो गया है। खतरे में जिंदगी , खतरे में देश , खतरे में धरती, अंगारों में है पैर फिर भी अनंत ख्वाबों में खो गया है। धरती वही, आकाश वही, ब्रह्मांड वही, कहानी का चरितार्थ बदल गया है। निराकार में अब भी सच लिखा है, सिर्फ इंसानों का जुबान बदल गया है। जिंदगी एक अनसुलझी कहानी है, मन अब स्वस्थ कहां,दिल भी बीमार हो गया है। ********************************* प्रमोद मालाकार की कलम से ************************** ©pramod malakar #जिंदगी एक अनसुलझी कहानी है।