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कुचल दूँगा अब ओ उम्मीद,, जो बचाकर रखा हूँ रुसवाईया

कुचल दूँगा अब ओ उम्मीद,, जो बचाकर रखा हूँ
रुसवाईयाँ बहुत हो गयी जिंदगी की,, अब न किसी का सखा हूँ
जान मेरी जानकार होती थी,, कभी तुम्हारी आँखों की नजरे
सच एक बात कहूँ,, आज इश्क की गाड़ी को,, पंचर करके रखा हूँ




तुम्हारे फोन से,, जाने किस दिन नाता टूटेगा
तुम्हारी तनिक भी याद न आए,, जाने कब पीछा छूटेगा
तुम्हें गुरूर है,, अपनी जवानी पर,, मत करो
वक्त निकल रहा है,, तुम्हारा भी,, एक दिन नीचे से पसीना छूटेगा





हमने साथ दिया हरपल हर दफा,, तुमने क्या दिया
हमसे झूठा वादा करके सिर्फ लुटा,, हमको क्या दिया
अरे साथ जीने मरने की बात करती थी,, तूँ,, फरेबी
हमे तोड़ा फोड़ा निचोड़ा अंत मे,, धोका दिया

©Aarav shayari
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