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।हमसफ़र।। " हमसफ़र तकदीर बन जो आता है राहे खुद-ब-

।हमसफ़र।।

" हमसफ़र तकदीर बन जो आता है
राहे खुद-ब-खुद कट जाती हैं
मंजिलों से न मन घबराता हैं 
हमसफ़र तकदीर बन जो जाता है ,

न तन्हाईयां न कुछ और डराता है
हाथों में जो हमसफर का हाथ हो
दरिया भी पार हो जाता है
हमसफ़र तकदीर बन जो आता है,

प्यार मोहब्बत से दामन भर जाता है
लब चुप रहते आंखों से समझ आता है
कहने की जरूरत नहीं बिन कहे दिख जाता हैं
   हमसफ़र तकदीर बन  जो जाता है ।।"

©kanchan Yadav
  Sethi Ji  Praveen Jain "पल्लव" Sudha Tripathi Satyaprem Lalit Saxena