औरों पर जब कीचड़ फेंको, ख़ुद को सामने रखकर देखो, बात बहुत चुभती है दिल पर, खाकर चोट जिग़र पर देखो, बेअदबी का दर्द समझना, ख़ुद ज़लील होकर तो देखो, चैन छीन कर सोने वालों, नींद करार भी खोकर देखो, कंटक डगर बिछाने वालों, काँटों पर ख़ुद सोकर देखो, आएँगी ख़ुशियाँ जीवन में, मन का मैल तो धोकर देखो, अहंकार की आग में 'गुंजन', रिश्ता मधुर संजोकर देखो, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #औरों पर जब#