आज दुनियां बनी हुई है एक जेल खाना। सबको सजा मिली है किसको कितनी मिली है ये किसी को नहीं पता।। वो जो मुझसे खफा हुए है किस बात की सजा हुई है। जब उनके पास पहुंचे पुछा तो वो बोले मुझको नहीं पता।। कहा था उन्होंने अच्छे दिन आयेगे। अच्छे दिन के बादल अब तक बरस रहे है कब तक बरसेगे ये किसी को नहीं पता। कम हो रहा है कोयला अब लाइट भी कम मिलेगी। क्या फिर से केरोसिन बंटेगा पुंछा तो बोले ये किसी को नहीं पता।। आज ईंधन भरवा है गाड़ी में तक चलेगी ऐसे क्या सब की चलेगी ऐसे पुंछा तो वो बोले ये किसी को नहीं पता। अपना भी बख्त आयेगा ढप्पा कहां लगाओगे। गर पुंछे तो कोई ये कहना अब ये कहां लगेगा ये किसी को नहीं पता।। गोहर अयूब इटावी ©Gauhar Ayub Etawi Geetkar जीवन यू बना हुआ है । जीना दुश्वार हुआ है।। #crimestory