कितना सही कितना गलत इसका हिसाब क्या करना आज के आज़ जीना कल को क्यों मरना जो अतीत को झाकूंगा तो रोना आएगा भविष्य कि सोचूँ तो और भी डराएगा वर्तमान थोड़ा ख़ुशी देता उसे क्यों न संभालू इसीलिए आज़ मे जी रहा हुँ हा थोड़ा थोड़ा ही सही दिल ने दी इज़ाज़त तो हल्का हल्का सा जाम किसी के नाम का उसके हा उसके लबों से आहिस्ता आहिस्ता पी रहा हुँ हा पी रहा हुँ अच्छा है आज़ मे जी रहा हुँ ©ranjit Kumar rathour आज़ मे जी रहा हुँ