लिखते - लिखते सीखा ------------------------ चांद में मशुख़, सूरज में चुनर, सावन में झूमर, बसन्त में घूमर, मैंने कल्पनाओं में देखा है.. हां !! बस, लिखते - लिखते सीखा है... ज़ुल्फों की रात, रूप की बरसात, यौवन की मात, दिल की औकात, मेरे खयालों का लेखा है.. हां!!! बस, लिखते - लिखते सीखा है... राम में मर्यादा, कृष्ण लीला में सादा, वैदेही की बाधा, मीरा प्रेम आधा, मेरी यात्रा का ठेका है.. हां!!!! बस, लिखते - लिखते सीखा है... ©Pandit Savya #likhatelikhate सीखा #panditSavya #poem #poem