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लिखते - लिखते सीखा ------------------------ चांद म

लिखते - लिखते सीखा
------------------------
चांद में मशुख़,
सूरज में चुनर,
सावन में  झूमर,
बसन्त में घूमर,
मैंने कल्पनाओं में देखा है..
हां !!
बस, लिखते - लिखते सीखा है...
ज़ुल्फों की रात,
रूप की बरसात,
यौवन की मात,
दिल की औकात,
मेरे खयालों का लेखा है..
हां!!!
बस, लिखते - लिखते सीखा है...
राम में मर्यादा,
कृष्ण लीला में सादा,
वैदेही की बाधा,
मीरा प्रेम आधा,
मेरी यात्रा का ठेका है..
हां!!!!
बस, लिखते - लिखते सीखा है...

©Pandit Savya #likhatelikhate सीखा #panditSavya #poem #poem
लिखते - लिखते सीखा
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चांद में मशुख़,
सूरज में चुनर,
सावन में  झूमर,
बसन्त में घूमर,
मैंने कल्पनाओं में देखा है..
हां !!
बस, लिखते - लिखते सीखा है...
ज़ुल्फों की रात,
रूप की बरसात,
यौवन की मात,
दिल की औकात,
मेरे खयालों का लेखा है..
हां!!!
बस, लिखते - लिखते सीखा है...
राम में मर्यादा,
कृष्ण लीला में सादा,
वैदेही की बाधा,
मीरा प्रेम आधा,
मेरी यात्रा का ठेका है..
हां!!!!
बस, लिखते - लिखते सीखा है...

©Pandit Savya #likhatelikhate सीखा #panditSavya #poem #poem