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पास बुला रहीं हैं कभी दूर धकेल रहीं हैं, नाज़ उठा

पास बुला रहीं हैं कभी दूर धकेल रहीं हैं, 
नाज़ उठा रहीं हैं, नखरे भी झेल रहीं हैं, 
आख़िर तो हमें तबाह ओ बरबाद करेंगी ही, 
फ़िलहाल वो हमारे जज़्बातों से खेल रहीं हैं!

©Shubhro K
  Monika  CalmKrishna  divya Darshan Raj feeling