कहीं आज़ादी के नारे कहीं नफरत के अंगारे संप्रयादिक्ता के बीच मेरी दिल्ली जल रही है ।। फ़्री बिजली और पानी के चक्कर में मुफ्त में ज़ाने जा रही है हिन्दू मुस्लिम के चक्कर में मेरी दिल्ली जल रही है ।। कभी पत्थर कभी तेज़ाब जलते घर जलती दुकान जनता की रक्षा करते करते जाने कितने रतनलाल और अंकित मर मिटे है !! जामिया से शुरू हुआ जो दंगल शाहीन बाग़ में बड़ा हुआ जाफराबाद पहुंचते पहुंचते जाने कितनी ज़ाने लील गया । जिन सरदारों ने शाहीन बाग़ में लंगर खिलाया भूखों को उन्हीं के खून के प्यासो ने जलाकर टायर फैक्ट्री कैसा कर्ज चुकाया तुम खुद देखो। स्कूल हुए बंद, परीक्षाएं भी हो गई रद्द जलते पेट्रोल पंप के बीच दिल्ली कैसे जल रही है गन्दी पॉलिटिक्स के बीच दिल्ली देखो जल रही है। ये कोई नई बात नहीं है सियासत बरसो से ऐसी ही है पर कब तक मासूम चड़ेंगे बली बात बस इतनी सी है बीजेपी, कांग्रेस, आप के चक्कर में दिल्ली देखो जल पड़ी है!! जल रही है दिल्ली !!