हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती - स्वयंप्रभा समुज्जवला स्वतंत्रता पुकारती - अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़-प्रतिज्ञ सोच लो, प्रशस्त पुण्य पंथ हैं , बढ़े चलो बढ़े चलो। असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी। सपूत मातृभूमि के रुको न शूर साहसी। अराति सैन्य सिंधु में , सुबाड़वाग्नि से जलो, प्रवीर हो जयी बनो , बढ़े चलो बढ़े चलो। - जयशंकर प्रसाद