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इश्क़ से वाकिफ है भी नहीं ।। तुझसे गुज़ारिश हैं भी न

इश्क़ से वाकिफ है भी नहीं ।।
तुझसे गुज़ारिश हैं भी नहीं ।।
चन्द लम्हें तेरा साथ गुज़रे
वो मुक़्क़मल अब है भी नहीं ।।
बातों में जिक्र तेरा है भी नहीं ।।
अब फ़िक्र तेरी है भी नहीं ।।
तन्हाइयों में तेरी याद है भी नहीं ।।
तुझसे अब कोई फरियाद है भी नहीं ।।
( मसला ) था तेरी मेंरी  मोहब्बत का
अर्ज यें है की तुझसे मोहब्बत है भी नही ।।
तुझसे मोहब्बत है भी नहीं ।।
तुझसे मोहब्बत है भी नहीं....!

©विपिन सेवक "
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