इस धूप की सफर में चल तो बैठी हूँ में, छांव की अन्वेषण मे, बढ़ाए हैं मैंने अपने कदम, मंजिल की द्वार के लिए, मुश्किलें तो काफी आएँगी, पर नहीं रुकेंगे मेरे ये कदम, इस सोच में की, ये सफर देंगे मुझे एक नयी पहचान.. मेरे सपनों को उड़ने की जान.. इस धूप की सफर में.... *अन्वेषण* =खोज