वक्त के साथ कितना कुछ बदल गया। कुछ मुझसे छूट गया, कुछ मिल गया। ज़िंदगी एक क़फ़स सी लगने लगी थी। हाथ थामी मौत की और मैं निकल गया। मयकदे से चला था तो मैं होश में था। नशा-ए-इश्क में मगर मैं फिसल गया। बात जमाने की करो मुझे मलाल नही। बात हिंद पर आई तो लहू उबल गया। चाहतों की दुनिया में आग सी लगी है। जिस्म बाकी रहा और दिल जल गया। शब उसकी अक्श दिखाई दी थी जय। दिल किसी बच्चे की मानिंद मचल गया। मृत्युंजय विश्वकर्मा ©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri" ग़ज़ल #bestgazals #bestshyari #bestlines #mjaivishwa