तुम्हारी याद जब भी बैठूँ तन्हा मैं, ख्यालों में आते हो बस तुम तुम्हारी मीठी यादों में हम, रहते हैं गुम तुम्हारे हाथों का स्पर्श, महसूस करते हैं हम अब भी सहलाया था चेहरे को, गले लगाया था हमें तभी तुम थे सामने, अपनी हर बात हमने कह डाली एक मुद्दत के बाद, हमारे दिल का गुबार जाकर हुआ खाली मिले हम तुमसे, वो पल भी कितनी जल्दी बीत गए हम फ़िर से, अकेले उदास रह गए दूर हो तुम हमसे बहुत, फ़िर भी बेहद पास मुझे लगते हो तुम मुझमें ही, मेरे दिल में रहते हों तुम्हारी याद जब भी बैठूँ तन्हा मैं, ख्यालों में आते हो बस तुम तुम्हारी मीठी यादों में हम, रहते हैं गुम तुम्हारे हाथों का स्पर्श,