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अंगड़ाइयाँ लेते हुए मैंने सारी रात गुजार दिया पर उन

अंगड़ाइयाँ लेते हुए मैंने सारी रात गुजार दिया पर उनके यादों का सिलसिला जारी रहा
कभी इधर तो कभी उधर कभी तकिया मेरे ऊपर होता तो कभी में तकिये के ऊपर
 कभी चादर से एक पैर बाहर निकाल ठंड-गर्मी दोनों का एहसास लिया करता
 तो कभी मोबाइल उठा कर हमारे पुराने ख़त पढ़कर मुस्कुराता 
तो कभी उसकी सुंदर तस्वीरों को ज़ूम करके निहारता
 तो कभी नेट चालू कर उसके ऑनलाइन आने का इंतेज़ार करता
 सर्द भरे मौसम में भी गला ऐसे सूख रहा था मानो गर्मी ने अभी-अभी आँगन में दस्तक़ दिया हो
पानी की हर बूँद मेरे गले तो तार-तार करता मेरे जेहन में उतर रहा था
 औऱ हर बूँद के साथ उसके यादों का काफ़िरा भी बढ़ जाता
 एक मन तो करता उनको कॉल कर लिया जाय पर इस बात से सहम जाता की घऱ के सभी सदस्य गहरी नींद में सो रहे है हल्की आवाज़ से उनके सपनों का आशियाना तबाह ना हो जाय
 खुले आँखो में भी उनका ख्याल बंद आँखो में भी उनका ख्याल
उसकी याद ना सोने दे रही थी ना जागने
समय का चरखा आगे बढ़ रहा था रात औऱ गहरी होती जा रही थी अब उसकी याद मेरे मन को विचलित कर कुरेदने लगा 
तभी मेरी माँ ने मुझे इस क़दर विचलित पाया
 और मुझसे बोली "रात काफी हो चुका है सो जा"
 औऱ अपने कोमल हाथों से मुझे सहलाने लगी
 तब कहीं जाकर मेरे खुशनुमा रात का अंत हुआ।

©Akhilesh Dhurve kal raat ki kahani ❤️💕 #nojotohindi #kahaniyan #quote #nojotoshyari #maa #dil #alfaz #nightpoetry #poetry #shyari
अंगड़ाइयाँ लेते हुए मैंने सारी रात गुजार दिया पर उनके यादों का सिलसिला जारी रहा
कभी इधर तो कभी उधर कभी तकिया मेरे ऊपर होता तो कभी में तकिये के ऊपर
 कभी चादर से एक पैर बाहर निकाल ठंड-गर्मी दोनों का एहसास लिया करता
 तो कभी मोबाइल उठा कर हमारे पुराने ख़त पढ़कर मुस्कुराता 
तो कभी उसकी सुंदर तस्वीरों को ज़ूम करके निहारता
 तो कभी नेट चालू कर उसके ऑनलाइन आने का इंतेज़ार करता
 सर्द भरे मौसम में भी गला ऐसे सूख रहा था मानो गर्मी ने अभी-अभी आँगन में दस्तक़ दिया हो
पानी की हर बूँद मेरे गले तो तार-तार करता मेरे जेहन में उतर रहा था
 औऱ हर बूँद के साथ उसके यादों का काफ़िरा भी बढ़ जाता
 एक मन तो करता उनको कॉल कर लिया जाय पर इस बात से सहम जाता की घऱ के सभी सदस्य गहरी नींद में सो रहे है हल्की आवाज़ से उनके सपनों का आशियाना तबाह ना हो जाय
 खुले आँखो में भी उनका ख्याल बंद आँखो में भी उनका ख्याल
उसकी याद ना सोने दे रही थी ना जागने
समय का चरखा आगे बढ़ रहा था रात औऱ गहरी होती जा रही थी अब उसकी याद मेरे मन को विचलित कर कुरेदने लगा 
तभी मेरी माँ ने मुझे इस क़दर विचलित पाया
 और मुझसे बोली "रात काफी हो चुका है सो जा"
 औऱ अपने कोमल हाथों से मुझे सहलाने लगी
 तब कहीं जाकर मेरे खुशनुमा रात का अंत हुआ।

©Akhilesh Dhurve kal raat ki kahani ❤️💕 #nojotohindi #kahaniyan #quote #nojotoshyari #maa #dil #alfaz #nightpoetry #poetry #shyari