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akhileshdhurve6473
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Akhilesh Dhurve

मुझें लिखना अच्छा लगता है औऱ मेरी ख्वाहिश है मेरी बात हर उस शख्स तक पहुँचे जो यहाँ पर मौजूद है।🙏☺️💕

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Akhilesh Dhurve

                                         " किन्नर "

ये मसला उस समय का है जब में अपने पापा जी के साथ बाज़ार कुछ सामान लेने गया हुआ था पापा जी अपने कुछ अजीज़ दोस्तों के साथ बातों में मशगूल थे औऱ में इन सब को अनदेखा कर अपनी नज़रें यहाँ-वहाँ दौड़ा रहा था तभी मेरी नज़र एक सुनार की दुकान पर आ रुका, गोरी चिट्टी, बदन में लाल साड़ी काले ब्लाउस का संयोग, सुलझे लंबे बाल, माथे में बिंदी से कोई सुनार के दुकान का सोभा बढ़ा रहा था में पापा जी से नज़रे चुरा उसे एक टक लगाए निहारता रहा, तभी हवा का एक प्यारा सा झोंका आया औऱ उसके कुछ बाल हवा में लहराते हुए उसके चेहरे को ढकते चले गय, इस बीच उसका अपने बाहिनें हाथ से जुल्फों को अपने कान के पीछे ले जाना हाय मेरी आँखों को चकाचोंध कर गया तभी वो अपने क़दम उस दुकान से रुक्सत करने लगी औऱ मेरी आँखों से ओझल होते चले गई उसका मुझसे दूर जाना मेरी नज़रों को खटकने लगा, में पापा जी से अभी आता हूं कि बात बोलकर कुछ देर उसके पीछे-पीछे जाता गया अब वो एक सब्जी की दुकान पर ठहर गई में भी जान बूझकर उस सब्जी की दुकान पर जाकर सब्जी का दाम पता करने लगा तभी उसने अपने भारी आवाज़ में दुकानदार से ऐ चल पैसे निकाल की बात कही, ये सब्द सुन थोड़ी देर के लिए में हतप्रभ हो गया औऱ अपने क़दम पीछे लेते हुए भगवान को कोसने लगा ऐसा "ज़ुल्म क्यों" इतनी सुंदर कन्या को उसने किन्नर का दर्जा जो दिया था औऱ में मायूस चुपचाप वापस लौट आया वैसे इस बात को एक लम्हा गुजर चुका है पर उसका वो नूरानी चेहरा औऱ उस पल का हर एक लम्हा मेरे नज़रों से कभी ओझल नही होता।

©Akhilesh Dhurve
  #akhileshdhurve #Hosh_khona #tranding#
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Akhilesh Dhurve

चढ़ने लगा है मेरे रूह में इश्क़ का भुखार
 ना जाने इसका इलाज़ किस दवाखाने में होगा।

©Akhilesh Dhurve
  #akhileshdhurve #ilaaz #dawakhana #quote
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Akhilesh Dhurve

उस सर्द सुबह को उसने मुझसे मिलने की इक्षा जाहिर की, और हम नींद का दामन छोड़ उससे मिलने उसके पसंदीदा कपड़े पहन बातये हुए समय से पहले उसका इंतेज़ार करने लगे
सर्द हवाओं के बीच भी मेरे चेहरे में एक अजीब का चमक था 
शायद उसका मुझे इतने सुबह बुलाना ना जाने क्या बात होगा इस सोच ने मेरे चेहरे का चमक बढ़ा दिया
में बार- बार अपने मोबाइल का कैमरा चालू कर अपने आपको निहारता
 में अच्छा तो दिख रहा हु ना 
मिलने का समय करीब आने को था उससे मिलने की जिज्ञासा अब मेरे मन को विचलित करने लगा 
में अपने दोनों हाथों को आपस मे रगड़ते हुए धुंध कोहरे के बीच उसके आने का इंतेज़ार करने लगा 
आख़िरकार इंतेज़ार की घड़ियां समाप्त हुई
 और एक मधुर सी आवाज़ मेरे कानों में सुनाई दिया 'अखिल" 
मैंने देखा अपने नय स्वेटर, टोपी, हाथबन्द औऱ जूते पहन
 वो धीरे-धीरे मेरी औऱ आ रही है
एक नय हर्ष-उल्लास ने मेरे जेहन में घर कर लिया
धड़कने बढ़ गई, चेहरे में मुस्कुराहट आ गया
औऱ मेरे पास आते ही पहले तो उसने मुझसे मेरा खैरियत पूछा, फिर कहा अखिल" तुम मुझे बहुत- बहुत पसंद हो, में हमेशा तुम्हारी दोस्त बनकर नही रह सकती, हर पल तुम्हारा ही ख्याल मे्रे जेहन में रहता है तुम्हारे साथ रहना मुझे अच्छा लगता हैं तुम्हारी बाते मुझे पसंद हैं तुम जिस अंदाज में मेरी तारीफ करते हो मेरा ख्याल रखते हो मुझे अच्छा लगता है क्या तुम हमेशा मेरे साथ रहोगे
उसक बातें सुनकर थोड़ी देर के लिए तो में स्तब्ध रह गया मानो साँसे थम सी गई धड़कनो ने धड़कना बंद कर दिया
आंखे खुली रही शरीर ठंडा पड़ गया
  पर अंदर से में इतना ज्यादा खुश था कि ना तो में हा बोल पा रहा था औऱ ना ही ना 
में जैसे ही उसके और बढ़ा मेरे क़दम अचानक रुक गय
जाने किस सोच ने मुझे आगे बढ़ने से रोक दिया
और में अपने क़दम पीछे खींचते हुए लौट आया किसी बुजदिल की तरह उसके आंखों में आंसू थे और वो मुझे एक टक लगाए देखती रही जब तक में उसके आंखों से ओझल नहीं हो गया।

©Akhilesh Dhurve
  #सर्दसुबह...।❤️💕 
#akhileshdhurve
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Akhilesh Dhurve

अभी सुरु ही हुए थे हमारे मोहब्बत के क़िस्से गलियारों में 
गम आंधियों का क्या चला 
सारा गलियारा शमसान हो गया।

©Akhilesh Dhurve
  #Grayscale 
#akhileshdhurve
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Akhilesh Dhurve

"मेरे प्यारे फ़ोन"

मेरे प्यारे फोन, शरीर से आत्मा का निकल जाना, दिलो से 
धड़कनो का दूर हो जाना 
प्यासा बिन पानी, भूखा बिन भोजन, कुछ इस क़दर है 
तुमसे मेरा दूर हो जाना
उगते हुए सूरज से गहराती हुई चांदनी तक में जिसे 
देखना पसंद करता हु
आँख खुलने के बाद से आँख बंद होने से पहले तक 
मे जिसे निहारना पसंद करता हु 
चेहरे में छाती हुई मुस्कान से आँखो में आते आंसुओं तक
 जिसका जिक्र मेरे जेहन में होता है 
प्यार भरे नग़मे लिख़ने से उदासी भरे शायरी करने तक
 जिसका ख्याल मेरे मन में होता है
कई दफा तुझे चार्जर पिन में घंटो गूथने के बाद इलेक्ट्रिसिटी 
बटन का ऑफ़ रहना भी किसी चोट खाये ज़ख्म से कम नही 
हाथों से तुझे गिरता देख स्क्रीन का शीशे की तरह टूट
 जाना भी किसी सदमें से कम नही
ना जाने कितने ही अपने परायो को तूने एक यादों के पिटारे
 में बांधे रखा है
मीलो दूर की दूरियों को चंद सेकंड के यादो में संजोय रखा है
कुछ ऐसी कहानी है मेरे औऱ मेरे फ़ोन की।

©Akhilesh Dhurve
  mera phone...❤️💕 #nojotohindi #thought #tranding

mera phone...❤️💕 #nojotohindi #thought #Tranding

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Akhilesh Dhurve

   बर्फ सा जमा हुआ हूं कोई मोम सा पिघलाने आ जाओ
बेरुखों की कस्ती में खड़ा हूँ कोई मोहब्बत के समुन्दर में गिराने आ जाओ।

©Akhilesh Dhurve
  #IndiaOnABoat #akhileshdhurve #quote #tranding #Nojoto
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Akhilesh Dhurve

" नारी कौन हैं "

नारी कौन है क्या वो एक स्त्री मात्र हैं
या समाज में गूथे चंद किरदारों का रूप
जिसे हम मां, बहन, और पत्नी के रूप में जानते हैं
 बाकी मौसी, मामी, चाची, दादी और नानी उसके अनुरूप हैं
उसे समाज के कई कुरीतियों से होकर गुजरना पड़ता है
जिसमे प्यार, नफ़रत, साहस, डर, सम्मान, लज्जा, मुस्कान, मायूसी, हठ, चिंता, परवरिश, सावधानी, देखभाल, पसंद,अच्छाइयां, बुराइयां, सामिल हैं 
उनके साथ घट रहे घटनाए पाप मात्र नही जघन्य अपराध हैं 
क्युकी तुमने उसके शरीर को ही नहीं समाज के आत्मा को छुआ है
 हर आंगन से उठती किलकारी के आवाज को छुआ हैं
और सात ही छुआ हैं तुमने समस्त नरीजात के अभिमान को 
संविधान से खिलवाड़, उसके अधिकार को छुआ हैं 
जिन नजरों से तुमने उसका तिलस्कार किया उन नज़रों को में ले लूंगा
जिन हाथों से तुमने उसको छू कर, नज़रे झुकाने पर मजबूर किया उन हाथों को में ले लूंगा
 ले लूंगा तेरे बदन के हर एक कतरे को जिनसे तूने ये अभिशाप किया
अधिकार नहीं तुझे समाज में जीने का तेरे सासों को में ले लूंगा
और दफ़न कर दूंगा उस मिट्टी में जिसकी तू पैदाइस है
फिर ना करेगा इन मुद्दों में बहस कोई 
ना किस्सो का रूप होगा ना कहानियों का सयोंग कोई।

©Akhilesh Dhurve
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Akhilesh Dhurve

सब कहते हैं
फूलों में गुलाब से खूबसूरत कुछ भी नहीं
फिर मैने उसके होठों को देखा
 तब जाकर मुझे गुलाब से नफ़रत हुआ।

©Akhilesh Dhurve
  #akhileshdhurve #rose #like #follow #love #nojoto
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Akhilesh Dhurve

बहका हु जब-जब इस जमाने में 
तेरी यादों ने संभाला है मुझे 
खोता हु मदहोशी के आगोश में 
तेरी मुस्कुराहट ने संभाला हैं मुझे 
तंग करती है इन गलियों का शोर शराबा मुझे
 मन में गूंजते तेरी आवाज ने संभाला हैं मुझे
जिंदगी मायाजाल हैं जी का जंजाल हैं
  तेरे लंबे काले घुंघराले बालों ने संभाला है मुझे 
जब-जब उठा रंगो से वास्ता मेरा
 तेरे होठों के लाली ने संभाला है मुझे
रात का साया डर पैदा करता है जेहन में
 तेरे आंखों के काजल ने संभाला है मुझे 
बहकता मन चंद गलियों में विचरण करता है
 तेरे बदन की खुशबू ने संभाला है मुझे 
बहका हु जब-जब इस जमाने में
 तेरी यादों ने संभाला है मुझे
  तेरी यादों ने संभाला है मुझे।

©Akhilesh Dhurve
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Akhilesh Dhurve

किसी को चाहते रहना इतना आसान कहा
अकस्मात उसकी याद तुम्हारे जेहन में उठे
और तुम मुस्कुरा उठा
मानो गम कभी था ही नहीं
जब कोई पसंद आ जाता है तो ये नही देखा जाता
 वो अच्छा है या बुरा
हम अपनाते है उसके साथ उसके हर एक बुराई को हर एक अच्छाई को
और साथ ही अपनाते है उसके अंदर छुपे हर एक किरदार को 
जिसे वो मुखौटे की आड़ में दुनियां से छुपाएं रखता है
कई बार उसकी नादानियां, उसका बचपना, उसकी गलतियां, उसका पागलपन हमे परेशान कर देते है 
लगता है मानो दूर हटा जाय इस बेजान से रिश्ते से
जिसमे खुशियां कम और गमों का साथ ज्यादा है
पर दिल का एक हिस्सा इन सब के बावजूद
सब कुछ चुपचाप सहने को तैयार हैं
क्योंकि आज भी इसमें उसके लिए प्यार बेशुमार है।

©Akhilesh Dhurve
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