हे! तथाकथित समाज। तुझसे ज्यादा महफूज़, तुझसे ज्यादा सभ्य तो, जानवरों का जंगल लगता है। हे ! तथाकथित मीडिया, अब कब पूछेगा भारत? अब कब होगा आर-पार? अब कब होगा दंगल? हे! तथाकथत इंसानों अब कर्तव्यों की, इतिश्री करिए। खुद की ही मर चुकी, संवेदनाओं का जनाजा, कैंडल मार्च के रूप में, निकालिए। #न्याय। #कुन्दन_कृति। #justice #Stoprape