पैसा ही सबकुछ नहीं,रखें सरस व्यवहार,क्षमा दया भी पास हो,पाते रहिए प्यार। पैसा ही सबकुछ नहीं,पूर्ण करें कर्तव्य,डूबे रहिए स्नेह में,बने रहें द्रष्टव्य। पैसा ही सबकुछ नहीं,धर्म कर्म हो साथ,रहे पुण्य का साथ तब,चमके मंजुल माथ। पैसा ही सबकुछ नहीं,साथी भी है खास,तब जीवन में सुख रहे,खुशियाँ हों सब पास। पैसा ही सबकुछ नहीं,रखें हृदय को साफ,करिए भला समाज का,गलती होगी माफ। ©पूर्वार्थ #पैसा #सबकुछ #नही #है