हमने उल्फत में भी उनके चेहरे पर नूर देखा है! बहते हुए हवाओं में भी उसमे एक सुरूर देखा है!! ये इश्क हकीमो के बस की बात नही यारों! हमने पत्थर को भी मोहब्बत में चूर देखा है!! ये फूलों की बस्तियां है यारों, यँहा काटें भी अश्कों के नाम पर हुजूर देखा है! मुकाबला ना कर मेरे इश्क की दरख्वास्त से! हमने गुस्से में भी एक अलग सा दस्तूर देखा है!! ये नफरतों की दुनिया है! पर यँहा भी अहले दिल का कसूर देखा है!!! पर उनके चेहरे पर नूर देखा है!!! #sjatt1401 #मुसाफ़िर की कलम