कभी चुप भी रहा कर लड़की है ना , जा जाकर काम किया कर घर की बातों में , सलाह ना दिया कर ये तेरा घर नहीं , तू पराई है जा यहां से , बराबरी ना किया कर। क्यों धिक्कारते हो तुम , लड़कियों को? क्यों पराया कहते हो? क्या तुम्हारी चिंता , खुदसे पहले नहीं उन्हें? या जिंदगी से आगे , रखा नहीं तुम्हें? सब को पराया , किया है उसने तुम्हारी इज्जत , आगे रखी है जिसने , सब कुछ त्याग दिया तुमने उसी को , अपनाने से मना किया। ©Apurva Shrivastava #poem #girl #Rudimentary #narrowminded #Thinkings #change #daughter #Love #LookingDeep